Wednesday 26 August 2009

"नही माँ जी ,वोह बात नही है मैं काम करने से नही डरता पर मेरी माँ बहुत बीमार रहती है 'मुझे उसकी देखभाल करनी पड़ती है ,अगर मैं आपके घर आजाऊंगा तो मेरी माँ का कौन ख्याल रखेगा इसीलिए मैं भीक मांग कर अपने माँ का पेट भरता हूँ रोज शाम के समय मेरी माँ जब सोती है तो मैं भीक मांगने निकल जाता हूँ अच्छा माँ जी मैं चलता हूँ वरना मेरी माँ को तकलीफ होगी "मैं उसे कुछ कहना चाहती थी पर वोह बिना सुने ही चल पड़ा .मैं उसको जाते हुवे देखती रह गई मेरा मन भर आया
सच में ऐसे बच्चे उन कलियों के सामान होते है जो पूरी तरह खिल नही पाते उन्हें खिलने का मौका ही नही मिलता "माँ" मैं चौक कर देखा तो बंटी मेरा पल्लू पकड़ कर खींच रहा था ."माँ अन्दर चलो न मुझे बहुत भूक लग रही है "मेरा मन ना जाने क्यो जोर से धड़क उठा मैंने उसे अपने गले से लगा लिया मेरा बेटा मुझे अजीब निगाहों से देखता रह गया मैं उसे लेकर अन्दर चली गई
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