Sunday 30 August 2009

रूचि ने पिताजी के लिए चाय बनाया तीनो मिलकर गपशप करने लगे यह उनका रोज का नियम है शाम मिलकर चाय पीते हैरूचि अपने कॉलेज की बातें बताती है ,माँ आसपडोस की बाते बताती है और पिताजी ऑफिस की बाते बताते है रूचि ने कहा "आज क्लास में नए सर आए उन्कोदेखने भर से मुझे डर लगा लगता है की बहुत सीरियस आदमी है कह रहे थे हर सप्ताह के अंत में टेस्ट लेंगे जिनको अच्छे अंक नही मिलेंगे उनका कुछ न कुछ दंड देंगे "माँ ने कहा "यह तो बहुत अच्छी बात है नही तो तुम लोग वार्षिक एक्साम तक पुस्तक ही नही निकालते" रूचि चिडकर बोली "क्या मम्मी तुम भी हम क्या छोटे बच्चे है की हर सप्ताह टेस्ट लिखेंगे और कम अंक मिलने पर दंड पाएंगे "
माँ बोली "बेटी चाहे तुम कितने बड़े क्लास में भी पहुँचो विद्या का एक प्राथमिक नियम होता है की अभ्यास करते रहो और सफलता पाओ "पिताजी ने भी सर हिलाया , वे बहुत कम बोलते है सुनते अधिक है उनके ऑफिस के टेंशन इतने होते है की माँ ,बेटियों के प्यार भरे इन झगडो का आनंद लेकर अपने टेंशन को भूल जाते है , और कभी बीच में पड़ भी जाते है तो अपनी बेटी का ही पक्ष उन्हें अच्छा लगता है और उसीके पक्ष में बोलते है

No comments:

Post a Comment