आकाश मेघों से घिरा हुवा था ,चारों ओर अँधेरा चाय हुवा था रूचि को घबराहट हो रही थी क्योंकि पिताजी अभी तक ऑफिस से वापस नही आए थे ,सुबह घर से निकले थे तब आकाश एक दम साफ़ था इसलिए छाताभी नही ले गए थे रूचि को डर था की पिताजी भीग गए तो बीमार पड़ जायेंगे
रूचि बार -बार अन्दर बहार आ जा रही थी ,माँ ने अन्दर से पुकारा "बेटी क्यों चिंता करती हो पापा कोई छोटे बच्चे तो नही की बारिश आने पर अपनी देख्हाल नही कर पाएंगे ऐसे तो नही हो सकता"इतने में रूचि ने देखा कि उसके पिताजी आ रहे उसने राहत की साँस ली माँ ने हस्ते हुवे कहा की "लो भईसंभालो अपनी लाडली को आपकी चिंता में सारे घर को सर परउठा कर रख दिया है ,उसे चिंता है की कही आप भीग जाए न करके "रूचि के पिताजी एक सरकारी कर्मचारी है रूचि और राम दोनों उनके संताने हैराम पांडिचेरी के मेडिकल कॉलेज में आखिरी साल में था ,रूचि एम .बी.ए. कर रही है दोनों बच्चे उनकी दो आँखें है
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आपके लेख का तात्पर्य शायद मै समझ पाया हूं। आपका कहना है कि बेटी अपने पिता की ज्यादा चिंता करती है
ReplyDeleteअच्छी कोशिश। लिखते रहें।
ReplyDeleteBahut Barhia... IBlog ki dunia me aapka swagat hai...si Tarah Likhte rahiye.
ReplyDeletehttp://hellomithilaa.blogspot.com
Mithilak Gap Maithili Me
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Manpasand Gaane
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Aapke Bheje Photo
लिखते रहो .जागते रहो ,खुली आँखों से एक शब्द लिखने से पहले कई सारी बाते पढ़ते रहो ,,,,,,,,,,,बहुत अच्छे...
ReplyDeletenice beginning
ReplyDeletebeti hee chinta karti hai.narayan narayan
ReplyDeleteअच्छा इशारा है...
ReplyDeleteअच्छा लगा पढकर.
ReplyDeleteBAHUT HI SUNDR HAI
ReplyDeleteNICE SIR JI