जिंदगी कई रास्तो से गुजर कर मंजिलो तक पहुंचती है बचपन कैसे गुजरता है ,हमें याद नही रहता ,हमारे बचपन के किस्से हमारे परिवार की जुबानी हम सुनते है बीस साल के बाद जो जिंदगी हमें गुजारनी होती है उसका मूल्यांकन जिसने ठीक तरीके से कर लिया तो मानो हमारी बाकी की जिंदगी सही तरीके से चलती है इसके लिए क्या किया जाना चाहिए ?मेरे ख़याल से अच्छे दोस्त ,दोस्त जैसे माँ-बाप,जिनके जिंदगी में होते है वे बहुत ही भाग्यशाली होते है
हमें सबकी सुननी चाहिए पर जो हमारे दिल-दिमाग को सही लगता है उसे ही करनी चाहिए जिंदगी में अगर किसी भी परिस्थिति का सामना करना पड़े तो धीरज रखना और बहुत कम शब्दों का प्रयोग करना बहुत जरुरी है शब्दों को कभी वापस नही लिया जा सकता शब्दों के द्वारा ही रिश्ते बनते बिगड़ते है मन साफ़ है तो किसी से कोई डर नह्ही लगता है शांत मन चेहरे को और भी सुंदर बना देता है
अपने मंजिल को तय करना और उसको साकार करना जिंदगी का सबसे बड़ा कर्तव्य होता है ऐसे मंजिले बनावो जिसमे तुम्हे पहुँचने में अधिक परिश्रम न लगे ये नही की मंजिले तय करते करते हम ही ख़तम न होजायेजैसे अगर तुम्हे संगीत पसंद है तुम उस क्चेत्र में कुछ हासिल करना चाहते हो ,तुम्हारा गला साथ न दे रहा हो तो तुम्हे इस राह पर आगे बढने के लिए दिक्कत होगी निराश होने की कोई बात नही तुम वीणा,वैओलिन ,की-बोर्ड ,तबला ,सितार ,आदि में माहिर बन कर अपनी मंजिल पासकते हो
---सा-शेष----
Friday, 25 September 2009
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