माँ खाना बनाने के लिए किचेन में गई तो रूचि पिताजी की तरफ़ मुड़कर कहा "पापा आप आज त्रिपाठी अंकल के यहाँ जाने वाले थे ,उनके तबियत की ख़बर क्या है ?"
"हाँ गया था बेटी ,आज उनकी तबियत ठीक है कल से ऑफिस भी आने की सो़च रहे ,वे तुमको बहुत याद कर रहे थे कल चली जाना बेटी उनके बेटे ने अमेरिका से चिट्टी लिखा है की वोह आ नही आ पायेगा इस समाचार से त्रिपाठी बहुत उदास हो गए हैं ,तुम जाकर उनके मूड को ठीक करदेना "रूचि ने हामी भरी और अपने कमरे में चली गई
रूचि को त्रिपाठी अंकल के लिए अफ़सोस हुवा ,दो साल पहले तक वे लोग उनके सामने वाले माकन में ही रहते थेबचपन में त्रिपाठी जी का बेटा और रूचि राम एक ही स्कूल जाया करते थे उनका बेटा आदित्य इन दोनों से दस साल बड़ा था रूचि जब बहु छोटी थी तभी आदित्य आगे की विद्यार्जन के लिए मद्रास और उसके बाद धनार्जन के लिए अमेरिका चला गया ,सब लोग उसका उदहारण देकर अपने बच्चो को उत्साहित करते थे की आदित्य के सामान बनो कुछ दिनों तक ठीक ही चला आदित्य ने अपने पापा के लिए एक नया फ्लैट लिया जिसमे आधुनिक सुविधाए भरपूर है दो साल पहले ही त्रिपाठी जी उस घर में बदल गए ,इधर कुछ दिनों से वे बहुत उदास रहते है रूचि जाकर उनको समझती है और हिम्मत बांधती है रूचि खाना खाकर सोते समय कल त्रिपाठी से मिलने का निश्चय किया और उसकी आँखे लग गई
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मेरा भी अकेला पुत्र अमेरिका चला गया। आपकी अगली कड़ी का इंतजार है।
ReplyDeletewahh bahut khoob apki diary bahut manbhawan lagi....likhte rahe...........
ReplyDeletemere blog par bhi paharen..
Jai Ho mangalay ho